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1संस्कृत विभाग: एक एक दृष्टि में

आजादी के पश्चात देश में जब लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ तो पूरे देश में शिक्षा के विस्तार हेतु शिक्षण संस्थानों और अध्ययन केंद्रों के विस्तार और निर्माण का कार्य तेज गति से चला। सन 1952 में राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर हि॰ प्र॰ की स्थापना हुई। महाविद्यालय की स्थापना के साथ ही संस्कृत विषय पाठ्यक्रम में जोड़ा गया। संस्कृत भाषा विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में अपना स्थान रखती है। इसी भाषा में मानव जीवन का संपूर्ण ज्ञान भंडार वेद, उपनिषद, धर्म, दर्शन, व्याकरण पुराण, रामायण, महाभारत और विभिन्न कवियों की रचनाओं में भरा पड़ा है। इस बात में कोई संदेह नहीं है इस भाषा में जो ज्ञान है वह शायद ही विश्व की किसी अन्य भाषा या साहित्य में उपलब्ध हो। जब हम संपूर्ण साहित्य का अध्ययन वैश्विक स्तर पर करते हैं तो पातें हैं कि संस्कृत भाषा में न केवल भौतिक संसार अपितु पारलौकिक संसार के विषय में भी अनुपम कृतियाँ उपलब्ध है, चाहे वह मोक्ष का प्रश्न है चाहे ब्रह्मांड या फिर जीवन यात्रा इन सभी रहस्यों के उत्तर संस्कृत साहित्य में विस्तृत रूप में उपलब्ध है।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जब संपूर्ण विश्व वैश्विक संकट से जूझ रहा है तब क्या कोई ऐसा हल है जो इस विश्व को शांति, सुख और समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर करने में सहायक हो। इसके उत्तर में मुझे लगता है कि संस्कृत साहित्य मैं उपलब्ध जो ज्ञान श्रृंखला है चाहे उपनिषद, श्रीमद्भगवद्गीतापातंजल योगसूत्र और विभिन्न महाकाव्य जिनमें अंतर्यात्रा से लेकर जीवनपर्यंत विषय पर विस्तृत ज्ञान उपलब्ध है निश्चित तौर पर ना केवल मानव अपितु संपूर्ण प्राणियों के जीवन के लिए लाभप्रद है। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु यह विषय सर्वोपयुक्त है। इस विषय के पठन पाठन से न केवल बौद्धिक चिंतन में वृद्धि होती है अपितु जीवन में उच्च आदर्शों की प्राप्ति स्वतः ही हो जाती है। वर्तमान में संस्कृत पाठ्यक्रम में मुख्य विषय के साथ विद्यार्थियों की अभियोग्यता और ज्ञान वर्धन हेतु स्नातक कक्षाओं में चार से अधिक विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। विद्यार्थियों के विविध विषयक ज्ञान और विभिन्न कौशलों के विकास हेतु उपनिषद, गीता तथा पाणिनीय शिक्षा, नाटक, महाकाव्य, व्याकरण, काव्यशास्त्र, नीतिशतक, पंचतंत्र, , भाषा विज्ञान, आत्म विकास हेतु पातञ्जल योगसूत्र, नाट्यशास्त्र, और वास्तुशास्त्र को पाठ्यक्रम में निर्धारित किया गया है। संस्कृत विभाग में अध्यापक का एक पद सृजित है और वर्तमान में संस्कृत विभाग में सहायक आचार्य कार्यरत है।

B Vision.

संस्कृत विभाग निरंतर विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत है। विश्व की धरोहर संस्कृत भाषा और इस भाषा में उपलब्ध ज्ञान-विज्ञान के असीम भण्डार को संरक्षित करना, अध्ययन-अध्यापन के द्वारा तथा कार्यशाला के माध्यम से संस्कृत भाषा के गौरव, उदात्त मूल्यों को विद्यार्थियों में स्थापित करना, संस्कृत विषय के अन्तर्गत विभिन्न ज्ञान की विधाओं को आज की आवश्यकता के रूप में प्रस्तुत करना।

C. लक्ष्य: Mission

1. विद्यार्थियों को संस्कृत विषय की ज्ञान संपदा, विविध विषयों का बोध करवाकर उसे वर्तमान जीवन शैली के अनुसार जीवन में अपनाकर जीवन में उच्च लक्ष्यों, नैतिकता, चरित्र और उदात्त मूल्यों को विकसित करना।

2. बदलती जीवन शैली में संस्कृत विषय के अन्तर्गत विविध विषयों को छात्रों तक पहुँचाना जिनमें नैतिक मूल्यों और जीवन से संबंधित विभिन्न प्रेरक प्रसंग शामिल हो।

3. छात्रों में व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के प्रति आत्म विकास द्वारा सम्मान के भाव को जागृत करना। ताकि आदर्श नागरिक के तौर पर वह अपने राष्ट्र के विकास में योगदान दे सके।

 

D. उद्देश्य: Objective

संस्कृत भाषा का सामान्य ज्ञान कराना।

संस्कृत भाषा को समझने, बोलने, पढ़ने व लिखने की क्षमता विकसित करना।

संस्कृत भाषा के प्रति अनुराग पैदा करना।

नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को विकसित करना।

संस्कृत भाषा के ज्ञानात्मक पक्ष के विस्तार के लिए प्रयास करना।

छात्रों की अधिगम क्षमता को विकसित करना।

संस्कृत पठन, वाचन और श्रवण कौशल को विकसित करना।

छात्रों को विषय से संबंधित रोजगार और नियुक्तियों के विषय में अवगत कराना ताकि वे उच्च आदर्शों को अपनाकर समाज में अपनी प्रस्थिति के अनुसार कार्य करें।

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डॉ0 अजीत कुमार

सहायक आचार्य

एम॰ए॰ नेट/स्लेट, बीएड

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1. वैदिक साहित्य चिंतन विषय पर इतिहास विभाग के साथ अंतर्विभागीय गतिविधि

2. समग्र शिक्षा व आध्यात्मिक शिक्षा मंच द्वारा गायत्री परिवार के साथ भारतीय संस्कृति के विविध आयाम विषय पर साझा कार्यक्रम।

3. शहीदी दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, शहीदी दिवस सामाजिक सञ्चेतना और साहित्य विषय पर समाजशास्त्र और इतिहास विभाग के साथ अन्तर्विभागीय गतिविधि।

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